आत्म-विकास और मनोचिकित्सा: भगवद गीता का महत्व
भगवद गीता भारतीय संस्कृती एवं साहित्य का अनुपम प्रतिबिम्ब है । यह कुरुक्षेत्र युद्ध की शुरुआत में भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच हुए संवाद पर आधारित है और यह कई मनोचिकित्सीय सिद्धांतों को स्पष्ट करती है। आज हम भगवद गीता और समकालीन मनोचिकित्सा के बीच कुछ समानताओं पर चर्चा कर रहे हैं। हम शुरुआत […]
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